बचपन के खेल निराले
बचपन के खेल निराले
फिर कब हैं लौटने वाले ।
उस क्षण का है महत्व विशेष
जिसकी है आज स्मृति शेष।
स्मृति की वो लहरियाँ रमणिक है
तो क्या हुआ जो यह सुख क्षणिक है ।
मित्र पुराने अब बिछड़ गए
कुछ रिश्ते भी उजड़ गए ।
आसान बनाती है रहना जिन्दा
बचपन की कुछ यादें चुनींदा ।
वो गलियारा जहाँ गुजरा बचपन सारा
काँक्रीट के हो गए , जहाँ थी धुल मिट्टी व जल धारा ।