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19 Jul 2019 · 1 min read

बचपन की यादें

वो स्कूल का भारी भरकम बैग फिर से थमा दे माँ
ये ज़िंदगी का हल्का बोझ उठाया नहीं जाता।

वो बारिश में तैरती काग़ज़ की कश्ती फिर लौटा दे माँ
ये ज़िंदगी के ऊँचे सैलाब में तैरना नहीं आता।

वो बचपन के रंगीन सपनो की रातें फिर लौटा दे माँ
ये ज़िंदगी के गमगीं पलों से उबरना नहीं आता।

वो दोपहर की धूप ओर शाम की ठंडक फिर लौटा दे माँ
ये ज़िंदगी की सुबह और रात के बीच दिन नहीं आता।

Language: Hindi
458 Views
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