बचपन की यादें
वो स्कूल का भारी भरकम बैग फिर से थमा दे माँ
ये ज़िंदगी का हल्का बोझ उठाया नहीं जाता।
वो बारिश में तैरती काग़ज़ की कश्ती फिर लौटा दे माँ
ये ज़िंदगी के ऊँचे सैलाब में तैरना नहीं आता।
वो बचपन के रंगीन सपनो की रातें फिर लौटा दे माँ
ये ज़िंदगी के गमगीं पलों से उबरना नहीं आता।
वो दोपहर की धूप ओर शाम की ठंडक फिर लौटा दे माँ
ये ज़िंदगी की सुबह और रात के बीच दिन नहीं आता।