*** ” बचपन की यादें “***
*बचपन की यादें *
हमारे पापा हमेशा कभी झिड़कते तो कहते कोई पैसा पेड़ पर लगता है क्या और मंझली बहन सविता ये सोचती एक दिन माँ से पूछा क्या पैसों का पेड़ लगता है तो माँ ने बस यूँ ही हल्की सी मुस्कान लिए काम करते हुए अरे नही रे ऐसा कुछ नही होता है फिर भी मन को तसल्ली देने के लिए कि सचमुच पैसों का कोई पेड़ होता होगा जहां से पैसों को तोड़कर लाते होंगें उस जमाने में 20 पैसे 25 पैसों के सिक्के चलते थे तब 20 पैसों में कुछ न कुछ चीजें मिल जाया करता था तो सविता के पास में 20 पैसा था उसे ही बगीचे में गड्ढा खोदकर बीज लगा दिया था रोज उसमे एक गिलास पानी भी दिया करती थी माँ ने ये सब करते हुए उसे देख लिया था तो कुछ चने के दाने वहां उसी जगह पर लगा दिये कुछ दिनों बाद उसमे अंकुरित बीज छोटे छोटे पौधे में ऊपर निकल आये तो सविता को बहुत ही ख़ुशी हुई कि देखो मैने पैसों के पेड़ लगाये थे वो उग आये हैं और अब इसमें ढेर सारे पैसे लगेंगे फिर मै पापा को दिखाउंगी मेरे पास भी कितने सारे पैसे है उन पेड़ से पैसे तोड़कर खूब सारी चीजें खरीदूंगी उन पैसों से जापानी गुड़िया भी लूंगी उसके लिए ढेर सारे खिलौने भी , खूब सारी चॉकलेट भी लूँगी …..और ना जाने क्या क्या दिमाग में सोचने लगी थी फिर ये सारी बातें माँ ने पापा को बतलाई तो सभी मिलकर खूब हँसने लगे थे पापा बोले बेटा पैसे पेड़ पर नही लगते वो कड़ी मेहनत से कमाने पड़ते हैं और जो पेड़ तुमने उगाया है वहाँ पर मम्मी ने कुछ चने के दाने डाल दिये थे वही पैसे तुम्हारे छोटे से चने के पौधे बन गए हैं
यह तुम्हारी मेहनत के पैसे याने पौधे है जो मीठे से चने चबाने के लिए काम आयेंगे ……
यह सोच 3 साल की उम्र की है जो आज 35 साल के बाद भी किसी कोने में यादों में बसी हुई है ???????????????????वो चने का पौधा* आज सचमुच ही मेहनती खजाने से कम नही है वही पैसे का पेड़ आज सुखद आश्चर्य चमत्कार लिए खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही है …! ! !
***राधैय राधैय जय श्री कृष्णा ***??
***शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश #*