बचपन की यादें
बचपन की यादें
—————–
पापा मेरे मुझको याद आज भी हैं,
बचपन की झीनी यादें,
ताजा आज भी हैं।
मुझसे तुम हर बात में करते थे वादे,
आप जब भी दफ्तर को जाते–
मेरी फरमाइशों का पिटारा पाते,
और मैं जिद करती थी हर बात पर।
पथ देखती मैं तुम्हारा पापा,
तुम दफ्तर से जल्दी आओ घर।
देख कर तुमको में बाहर आती,
झोले में सारी अपनी चीजें पाती।
देख उन्हें में खुश हो जाती,।।
पापा तुम हो कितने अच्छे,
सदा हमारे दिल की करते।
हम सब बच्चे तभी तुम्हारा
मान है करते ।।
घर के आंगन में तुम सारी,
खुशियां भर देते!!
पापा तुम हो बहुत ही अच्छे——-
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर