बचपन का प्यार
आओ आज सुनाता हूँ मैं तुम्हें
प्यारी सी सच्ची प्रेम कहानी
जिसमें बाल्यकाल से ही थे जो
एक दूसरे के जो दीवाना दीवानी
एक शहर का परिवार संग वासी था
वो लड़का यमला पगला दीवाना
उसी पेड़ में उसी नीड़ में रहने आई
वो मासूम सी सुंदर लड़की सपना
डॉक्टर की बेटी थी वो जो बनी थीं
उसके घर कुटुंब संग किरायेदारनी
जो प्रथम नजर में ही बन गई थी
उस मासूम लडके की दिल की रानी
कक्षा नौवीं और सातवीं के थे विद्यार्थी
वो एक ही स्कूल में थे सहपाठी
एक दूसरे को देखते ही हुए आकर्षित
दिल हार वार बन बैठे वो दोनों राजा रानी
दिन बीते,मास बीते,गए कई वर्ष बीते
प्रेम गूढ रंगों में दोनों जा रहे थे रंगते
लडका लंबा ऊँचा सुडौल जवान बन गया
लड़की पतली लंबी हुस्न का पिटारा बन गया
दिया खुदा ने रूप गजब का ,बनी छैल छबीली
सुंदर चेहरा,आँखें मोटी नशीली मृगनयनी
सुराही गर्दन ,नागिन सी बल खाती भरवीं छाती
चाल मोरनी ,मस्ती म़े मस्तानी ,दो नैन कटोरे
नजर नशीली ,नटखट चंचल सी ,कदम फुर्तीले
बाल काल आकर्षण जवानी का प्यार बन गया
संग जीने मरने कोल करार ईकरार बन गया
दोनों ने चोरी छिपे चढाई खूब प्रेममयी पींघें
सोहणी महीवाल, हीर रांझे को भी छोड़ पीछे
पाक साफ मोहब्बत थी उनकी हरजाई
शादी करके जीने मरने की युक्ति बनाई
तभी हुआ था दोनो के घर एक धमाका
प्यार मोहब्बत बात लीक कर बजा पटाखा
दोनों की प्यार भरी जिंदगियां सील हो गई
धर्म जातिवाद के रंग घिनौने में लीन हो गई
तभी प्रेमी ने एक अनोखी युगत बनाई
प्रेमिका को कोर्ट मैरिज की स्कीम बताई
लड़की ने परिवार मान खातिर मना कर दिया
पाक साफ मोहब्बत का पन्ना पलट दिया
नम आँखे भीगी पलकें टूटे सुपने टूटे अरमान
दुखांत अंजाम ए मोहब्बत बचा यही सामान
समाज जगत में जात धर्म की जीत हो गई
मासूमों की पाक साफ मोहब्बत शहीद हो गई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत