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1 Aug 2021 · 1 min read

बचपन और बरखा रानी

बचपन और बरखा रानी
******************
शीतल मदिर समीर सुहानी।
टप टप बरसें बरखा रानी।
दिल के बंद कपाट तो खोलो,
फिर देखो मौसम की रवानी।
….।।। आई फिर से बरखा रानी।

बारिस का मौसम अलबेला।
खेल रहा बच्चों का मेला।
बच्चों में हम भी मिल जायें।
फिर खेलें बचपन का खेला।
बन जाए इक नई कहानी।
….।।।। फिर से आई बरखा रानी।

गलियों में बहता वह पानी।
कागज की वह नाव पुरानी।
भीग जाएं सब कपड़े बस्ता,
छत टपके सब छप्पर छानी।
….।।।। आई फिर से बरखा रानी।

जब भी ऐसा दिन आता है।
दिल बच्चा सा बन जाता है।
करता मन सब वो करने को,
नहीं अभी जो कर पाता है।
कहाँ मिले दिन रात सुहानी।
…..।।। आई फिर से बरखा रानी।

कभी आप भी कर के देखो।
इक दिन बच्चा बन के देखो।
भूल जाओगे गम चिन्ताएं,
इक दिन बचपन जीकर देखो।
नहीं और कुछ इसका सानी।
…..।।। आई फिर से बरखा रानी।

…….✍️ प्रेमी

Language: Hindi
2 Comments · 334 Views
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