Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2021 · 2 min read

बचपन एक उत्सव

पता नहीं कहानियाँ कैसे लिखी जाती है। चंद शब्दो में तो शायद एक पूरी कहानी का जिक्र हो पाना शायद ही मुमकिन है। परंतु पाठक का ज्यादा समय न लेते हुये एक छोटी कहानी जो हृदय में उत्सव जैसा ही बसा हुआ है, और ऐसा उत्सव दूबारा हममे से किसी ने भी महसूस नही किया है, और शायद हो भी न को इस मंच पर साक्षा कर रहा हूॅं।

हमेंशा से स्कुल जाने से कतरने वाले बच्चों में भी शामिल था। परन्तु स्कुल का वो दिन अब जा कर लगता है कि कितना खास हुआ करता था। आपको तो पता ही होगा सप्ताह के स्कुल के छः दिनों में से आधे दिन का शनिवार जो मुझे और हमारे सभी साथियो को आनंद से भर देता था, कैसा हुआ करता था। उस दिन जबकि स्पेशल क्लास हमारे विधालय के सख्त शिक्षको द्वारा लिया जाता था, जैसे पूछ-ताछ करना और सभी को बारी-बारी से सबको ठोकना इस तरह शायद ये दिन उस शिक्षक के लिये उत्सव भरा हो, पर हमारा तो इस जोखिम के बाद वाला महौल का था। पिटाई खा लो या किसी भी तरह का बहाना बना लो पर 12 बजे किसी तरह घर पर आ जाओ ताकि अपना शक्तिमान का एपिसोड और जुनियर जी का एपिसोड के साथ सकला का बूम-बूम मिस न हो जाय। इस चक्कर में कई बार तो क्लास से बंक भी मारा दोस्तो के साथ। उस समय बंक मारना क्या होता है, ये तो पता ही नहीं था, पर जाने-अनजाने हम ये विधि को कभी-कभार अंजाम दे रहे थे। आज भी अगर दोस्तो के साथ बैठे तो पुरानी बातें ही शामिल रहती है, जिसे याद करके हम सभी रोमांचित हो जाते है। हम सभी दोस्तो ने कितनी भी पार्टियॉ मनवायी, मैने शनिवार का नाइट आउट किया, देर रात जक जगता रहा हूॅ, शादियॉ अटेन्ड कि,डॉस किया, खाया-पिया, पुजा-त्योहार मनाया पर बचपन में जितना कुछ पल जो भी ऐसे-ऐसे करनामों से भरा है, वही आज भी याद कर लेना एक सच्चा उत्सव बना लेना जैसा लगता है। सबकुछ उस दरिमयॉ बेमतलब सा था, निस्वार्थ, बेहिचक और अपार श्रद्धा से भरा हुआ था इसलिय उस समय कि खुशियों में रोम-रोम जितना पुलकित हुआ उतना अब कहॉ।

इसलिए मेरे लिये मेरा बचपन ही एक उत्सव है, जिसे याद कर लेना ही अपने आप को वापस जीवंत कर डालना जैसा है।

6 Likes · 4 Comments · 954 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नित्य करते जो व्यायाम ,
नित्य करते जो व्यायाम ,
Kumud Srivastava
*Dr Arun Kumar shastri*
*Dr Arun Kumar shastri*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
धृतराष्ट्र की आत्मा
धृतराष्ट्र की आत्मा
ओनिका सेतिया 'अनु '
आई वर्षा
आई वर्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जन्म से मृत्यु तक भारत वर्ष मे संस्कारों का मेला है
जन्म से मृत्यु तक भारत वर्ष मे संस्कारों का मेला है
Satyaveer vaishnav
*रिश्वत ( कुंडलिया )*
*रिश्वत ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
विजय कुमार अग्रवाल
दिन भर जाने कहाँ वो जाता
दिन भर जाने कहाँ वो जाता
डॉ.सीमा अग्रवाल
" नारी का दुख भरा जीवन "
Surya Barman
!!! होली आई है !!!
!!! होली आई है !!!
जगदीश लववंशी
खुबिया जानकर चाहना आकर्षण है.
खुबिया जानकर चाहना आकर्षण है.
शेखर सिंह
CUPID-STRUCK !
CUPID-STRUCK !
Ahtesham Ahmad
💐प्रेम कौतुक-561💐
💐प्रेम कौतुक-561💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
वैविध्यपूर्ण भारत
वैविध्यपूर्ण भारत
ऋचा पाठक पंत
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
सोचो यदि रंगों में ऐसी रंगत नहीं होती
सोचो यदि रंगों में ऐसी रंगत नहीं होती
Khem Kiran Saini
सोच समझकर कीजिए,
सोच समझकर कीजिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गुमनाम शायरी
गुमनाम शायरी
Shekhar Chandra Mitra
जिसकी भी आप तलाश मे हैं, वह आपके अन्दर ही है।
जिसकी भी आप तलाश मे हैं, वह आपके अन्दर ही है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
समस्त जगतकी बहर लहर पर,
समस्त जगतकी बहर लहर पर,
Neelam Sharma
लटकते ताले
लटकते ताले
Kanchan Khanna
कोई पागल हो गया,
कोई पागल हो गया,
sushil sarna
■ सुबह की सलाह।
■ सुबह की सलाह।
*Author प्रणय प्रभात*
करते तो ख़ुद कुछ नहीं, टांग खींचना काम
करते तो ख़ुद कुछ नहीं, टांग खींचना काम
Dr Archana Gupta
योग का गणित और वर्तमान समस्याओं का निदान
योग का गणित और वर्तमान समस्याओं का निदान
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
DrLakshman Jha Parimal
2907.*पूर्णिका*
2907.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेटी ही बेटी है सबकी, बेटी ही है माँ
बेटी ही बेटी है सबकी, बेटी ही है माँ
Anand Kumar
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
Bhupendra Rawat
समा गये हो तुम रूह में मेरी
समा गये हो तुम रूह में मेरी
Pramila sultan
Loading...