बगावत
दूसरे की नज़र में
उठने के लिए
अपनी ही नज़र में
तुम ना गिरो!
अब जो हो-जैसे हो
उससे अलग
कोई भी काम कभी
तुम ना करो!!
मौत से ज़्यादा और
बुढ़ापे से बुरा
कुछ भी नहीं होगा
तुम्हारे साथ!
खुलकर जीए जाओ
अपनी ज़िंदगी
किसी भी अंज़ाम से
तुम ना डरो!!
Shekhar Chandra Mitra