बगावत का आगाज़
जो अपना दिल बहलाते हैं
सियासत के खेल-तमाशों से!
मुझे कुछ और नहीं कहना है
उन चलती-फिरती लाशों से!
जिनकी नींद नहीं खुलती है
मुहब्बत की मीठी पुकारों से!
उनका होश उड़ने वाला है
इंकलाब के तेज धमाकों से!
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