बंसी बजैया रास रचैया
मास भाद्रपद तिथि अष्टमी ,क्रूर कंस का
कारागार
जन्म लिया है कान्हा ने, करने को नष्ट
असुर परिवार।
नंद बाबा की आंख की पुतली और यशोदा मां का लाल
ब्रिज की गलियों में खूब खेले मातु देवकी का
यह बाल।
ग्वाल बाल संग धेनु चराए, माखन दही चुराकर
खाए
कान पकड़कर माफी मांगे जसुमति संग
लाड लड़ाए।
बहन द्रौपदी की रक्षा में चीर अनंत बढ़ाता
जाए
लाज रखी रखी की उसने ,धर्म स्थापन हेतु ही
आए ।
बाल मुकुंद माधव यह बालक, चौराग्यगण्य
यह नंदकिशोर
चीर चुराए गोपीगण का ,बंसी बजैया यह
चितचोर।
कंस मारा द्वारका पधारे, जरासंध का किया
संघार
गीता गीत सुना अर्जुन को ,कर्म राह पर दिया
उतार ।
पूर्ण पुरुष श्री कृष्ण जगत् को देने आए अनुपम
प्यार
द्वापर के हे देव प्रणति तव चरणों में प्रणाम है
बारंबार।
___चारूमित्रा, रांची (झारखंड)