बंधु जानिये मर्म…दोहे
अतिशय धन की लालसा, बनी कोढ़ में खाज.
भौतिकता में बह रहा, ‘हिन्दू’ राज समाज..
धर्ममार्ग या पंथ की. पल में हो पहचान.
धर्म उसे ही जानिये, जिसमें हो विज्ञान..
बहकावे को त्यागकर, बंधु जानिये मर्म.
शेष सभी हैं पंथ ही, मात्र ‘सनातन धर्म’..
वैमानिक विज्ञान में, अन्तरिक्ष के अश्व.
अभियंत्रण प्राचीनतम, पढ़ें ‘यन्त्रसर्वस्व’..
प्राणतत्त्व ब्रह्माण्ड का, जीवनदर्शन सार.
राम नाम ही सत्य है, यही जगत आधार..
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’