{{{ बंधन }}}
अभी पालने से पांव है निकले, थोड़ा सा और मुझे चल जाने दो,
अभी भी माँ से लिपट मैं सोती, थोड़ा और निडर तो हो जाने दो,,
गुड़िया का व्याह न रचाया अभी , न ज़िया है बचपन पूरा,,
पढ़-लिख के अफसर है बनना मुझे ,थोड़ा स्कूल भी तो जाने दो,,
बुद्धि भी हैं कहाँ बढ़ी,, नन्ही कली में बगिया की,
यौवन अभी चढ़ा नही,, थोड़ा मुझे और बड़ी हो जाने दो,,
दुनिया अभी न देखी मैंने , न कोई समझदारी हैं आई,
तन भी है किसी कच्चा घड़े के जैसा, थोड़ा और उसे पक जाने दो,,
क्यो हाँथ पीले कर रहे हो मेरा, क्यो लाल जोड़ा है पहनाया,,
क्यों बिदा कर रहे हो मुझे, थोड़ा और इस आँगन में लहराने दो,,
क्यो इज़्ज़त का औढ़ा के चोला, क्यों ज़िम्मेदारी के चूल्हे में झोंक रहे हो,
तितली पकड़ने की उम्र है मेरी, थोड़ा और मुझे तितली सा इठलाने दो,,
अभी तो मां के गोद से उतरी हूँ मै,, क्या किसी को गोद मे लाड़ दिखाऊँगी,
चिड़िया सी चहकती हूँ मैं,, थोड़ा और मुझे उड़ जाने दो,,
गृहस्थी की कहा समझ मुझे, कहा किसी बंधन को समझ पाऊँगी,
मेरे भी कुछ अरमान है,, थोड़ा उन्हें भी तो पूरा हो जाने दो,,
क्यों अभी शादी कर रहे हो मेरी ………..
मुझे ज़रा बच्ची से , लड़की तो हो जाने दो