बंधन
#बंधन
जन्मो के बंधन का मीला मीत रे,
तुझ संग मेरी अमर प्रित रे।
मेरे दिल का तु ही मन मीत रे,
प्रेम के गीतों का मधुर संगीत रे।।
ये बंधन प्रित अमर जीत रे….
सुख दुःख का बंधन ये ही रित रे,
बिन बांधे बंधी थी तुमसे प्रीत रे।
ये तुमसे बंधन ये मेरी जीत रे,
उभरे अरमान मेरे हुए शीत रे।।
ये बंधन प्रित अमर जीत रे….
तेरा मेरा अफसाना रंगीत रे,
जब दो दिल गाते थे मीठे गीत रे।।
धरती गगन गूंजती अपनी प्रित रे,
इस बंधन से जमाना होगा परिचित रे।।
ये बंधन प्रित अमर जीत रे….
स्वरचित – कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र.