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14 Nov 2024 · 1 min read

बंद मुट्ठियों को खुलने तो दो…!

बंद मुट्ठियों को खुलने तो दो…!

(बाल दिवस के अवसर पर बच्चों को समर्पित मेरी यह रचना)
_______________________________

बंद मुट्ठियों को खुलने तो दो
फूलों सा खिलने तो दो
हवाओं सा उड़ने तो दो
इन नन्हें नाज़ुक हाथों को
चाँद-सितारे छूने तो दो
कोशिशों से ये अपना सूरज
खुद उगा लेंगे
मुट्ठियों के खुलते ही
ये नन्हें-मासूम
अपनी पहेलियों को
खुद-बखुद सुलझा लेंगे
चंद किताबों को पढ़कर
ये भी इतिहास बना देंगे

—कुँवर सर्वेंद्र विक्रम सिंह
★स्वरचित रचना
★©️®️सर्वाधिकार सुरक्षित

1 Like · 2 Comments · 108 Views
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