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16 Feb 2021 · 1 min read

बंद पंछी

2122 2122 21222
पिंजरे में बंद पंछी सा,तड़पते हम ।
पंख हैं घायल बदन पर चोट सहते हम।
क्या कहूँ किसको बताऊँ कौन है अपना-
है बने कैदी मगर अब मौन रहते हम।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

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