बंद ना हो आना जाना
बंद ना हो आना-जाना(ग़ज़ल)
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सुन ज़रा दिल का अफसाना,
लो ज़रा दिल का नजराना।
ना मिली हम को राहत भी,
प्यार का भुगता हर्जाना।
तुम बताओ चाहत अपनी,
छोड़ दो तुम अब शरमाना।
चाँद – तारे साक्षी मेरे,
हूँ सदा तेरा दीवाना।
तुम हमें बे-शक ना मिलना,
बंद ना हो आना – जाना।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)