बंदियों से बचा
या खुदा नेक बंदों को बंदियों से बचा
वरना उनके लिए ये खुद से लड़ जाते है
प्यार संभलने नही देता इनको
और ये हद से गुजर जाते है
कश्मकश में जीते जीते कब क्या दें खबर नही
रिश्ता तोड़ने जाते है और उन्हें घर ले आते है
जुबान चुप हो भी जाये पर दिल नही होता
मुस्कुराते हुए शादी में उनकी खाना खाते है
टूटने से अपना दिल ये रोक ले मुश्किल है
हँसने की बात करो तो इनके आंसू आ जाते है
नेक दिल आड़े आता है भूलने वाले को भूलने में
ये उसके नाम वाले को भी देख के मुस्कुराते है
या खुदा नेक बंदों को बंदियों से बचा
वरना उनके लिए तो तुझसे लड़ जाते है