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29 Apr 2020 · 1 min read

बंजारा आशिक़ कभी सगा नहीं होता

बंजारा – इस कविता में इसका अर्थ यह है कि जिन लोगो का relationship हर दिन change होता है।

बंजारे आशिकों का वो ढेर जमा हुआ,
जहां इश्क़ अपने आप को पहेचान ही नहीं पाया,
मुंतजिर करते हैं वह सच्चे आशिक अपने इश्क़ को,
जिनके घर गृहस्थी इन बंजारे आशिकों के नाम बिक गया।

वह बेवफा है जिसने हर एक बंजारे को दिल दे दिया,
उसके निगाहों से कर्जदारी की बू आती है जिनका वह मसीहा बन गया,
हर घड़ी और लम्हा इन्हीं बातों को फिर से दोहराता है,
कैसे उस ने बेचे कूचे इश्क़ की गलियों को उन बंजारो के नाम कर दिया।

इश्क़ के खुले बदन पर तेजाप की बूंदों को छिरका गया,
जिसमे एक एक अश्कों को नफ़रत ए बुनियाद में बदला गया,
सर्द रातों की नींद उड़ गई उन सपनो को देखकर,
जिनका हर एक अंश उन बंजारे आशिकों में समा गया।

उस बंजारे इश्क़ ने रेहम नहीं किया उन सच्चे इश्क़ पर,
जिससे उसने हर एक कण तक ले लिया,
कर्मो का लेहर अब उन पर टूट पड़ेगा,
जिनका घर गृहस्थी इन बंजारे आशिकों ने तबाह कर दिया।

– Basanta Bhowmick

Language: Hindi
3 Likes · 266 Views
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