फौजी भाई के लिए कविता
काश मैं कवि होता, तो हिंदुस्तान पे,कविताऐ लुटा देता !
कभी मैं सोचता हूं ,अगर मैं फौजी होता ,
वतन के लिए जान लुटा देता !
काश मैं गुलाब होता, तो वतन के लिए अपनी खुशबू लुटा देता !
काश मैं वृक्ष होता तो वतन के लिए अपनी छाँव लुटा देता !
काश में सूर्य होता, तो वतन के लिए अपनी रोशनी लुटा देता !
काश मैं कवि होता तो वतन पर अपनी कविताऐ लुटा देता !
काश में फौजी होता, तो वतन के लिए जान लुटा देता !!
मेंरा भारत महान।
जियो और जीने दो !
जय हिंद
अर्जुन सिंह अहिरबार
m. 8120650431
ग्राम जगमेरी तैह, बैरसिया जिला भोपाल
शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय भोपाल