फौजी बनना कहाँ आसान है
फौजी बनना कहाँ आसान है।
इसके लिए सबकुछ कुर्बान करना पड़ता है।
वतन के लिए दुशमन से लड़ना पड़ता है
जरूरत पड़े तो वतन के लिए
जान निछावर करना पड़ता है।
अपने खून के कतरे-कतरे में
देश के लिए जज्बात भरना पड़ता है।
सर्द भरी रातों मे खुद को तपाकर
शरहद पर नजर बिछाएँ रखना पड़ता है।
तपती गर्मी मे भी खुद को जलाकर,
शरहद पर अडिग रहना पड़ता है।
कोई आँच न आए हमारे वतन पर,
इसके लिए जान हथेली पर लेकर
काँटो के ऊपर चलना पड़ता है।
देश में अमन-चैन का बहार बना रहे सदा,
इसलिए अपने जीवन में पतझर भरकर
अपने परिवार से,हर त्यौहार से दूर
शरहद पर टिका रहना पड़ता है।
खुशी-खुशी देश पर मर मिटने का जज्बा
बुलंद कलेजे के अंदर साहस को जगाना पड़ता है।
तिरंगे के आन-बान-शान के लिए
तन-मन-धन सब अर्पण करने का
हौसला दिखाना पड़ता है।
अनामिका