फौजी का पत्र
एक वतन के रखवाले ने सबको आज सलाम लिखा है.
सरहद पे आने से पहले पत्र वतन के नाम लिखा है.
प्रथम चरण वंदन कर पितु का जाने का आदेश लिया है
जिसने अपने मन मंदिर में पूरा भारत देश लिया है
तनिक आप चिंता मत करना तिल भर पीछे पाँव न होगें
सीने पर गोली खा लेगें फिर भी दिल पर घाव न होगें
वादा एक हमारा है हम पूरा करके दिखलायेगें
या हाथों में झंडा होगा या झंडे में हम आयेगें।
माँ को नमन किया है उसने अपने फर्ज चुकाने आये
हम तो मइया केवल तेरे दूध का कर्ज चुकाने आये
हर हालत में मै आऊगां आशीर्वाद तुम्हारा लूगाँ
तेरे ही गोदी में आकर फिर से जनम दुबारा लूगाँ
याद किया है भाई को तब भुजा फड़ककर यूं बोली
भाई के बल से ही अपने दुश्मन पे दाग रहा गोली
रहता हु नहीं अकेला मै रहता है भाई साथ मेरा
जब पाँव हमारे थक जाते तब उन्हें दबता हाथ मेरा
फिर उस पगली को याद किया जो दीप जलाये बैठी है
कब आवोगे इस आशा में टकटकी लगाये बैठी है
इस तन पे नाम वतन का है ये दिल में बात बसा लेना
मै मिट्टी में मिल जाऊगां तुम उससे मांग सजा लेना