फौजी का दिल
आशिकी से दिल रखने वाले किसी की फ़िक्र कहां करते हैं,
और जिसके दिल में बसता हो वतन वो मरने से कहां डरते हैं,
जो अपनों को पीछे छोड़ सरहद पर जान छिड़कते है,
पूरे जहां में हम शान से फौजी ए वतन कहलाते हैं,
तपती धूप हो या हो बर्फीली पहाड़ी हर जगह बेख़ौफ़ तैनात हम रहते हैं,
करते हैं सामना बेख़ौफ़ दुश्मनों का क्यूंकि हर दम अपने हमारा हाथ थामे रहते हैं,
लगता है कभी डर और आती हैं अपनों की वो हंसी याद हमें,
करके आंखे नम सिर्फ दिल में बसी भारत मां को हम याद कर लेते हैं,
उतारने इस मा का कर्ज जन्मदात्री से अपनी दूर हम आ गए,
इस जन्म उतार कर इसका कर्ज अगले जनम के लिए हम उसके ऋणी हो गए,
तुम क्या जानो दिल हमारा किस कश्मकश में हर पल धड़कता हैं,
जीते अपने वतन के लिए हम पर दिल हमारा अपनों से मिलने के लिए तरसता है,
नहीं पता अगले पल क्या हमारी जिंदगानी होगी,
मिल भी पाएंगे कभी अपनों से या अख़बार में छपी शहीदों की कहानी में इक कहानी हमारी होगी,
फिर भी बेपरवाह हो सरहद पर सीना तान हम खड़े रहते हैं,
महफूज़ रहे देश हमारा इसके लिए जिंदगी अपनी कुर्बान कर देते है