Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2021 · 1 min read

फैल गयी घटा सावनी

अधर चुप मुस्कुरा उठे।
बरस गयी भरी–भरी चाँदनी।
दिया है
देह ने देह को
नेह ने नेह को
रँग ने रँग को
रूप ने रूप को
गंध ने गंध को
आकुल निमंत्रण
और
थिरक उठी चंचल घटा सावनी।
नैन में फैलकर
अँकुर गया सुख सुहाग
स्निग्ध मन से पुरूष ने
इंगित किया मानवी को
पुष्प के ओठ छू
उतर गयी है बतास
सिमट गया मेरे–तेरे अँजुलि में
वासंती वसंत से भरा यह मन
फिसल गया कटि से
उठ गया उरोज तक
प्यास से भरे अधर
बिम्ब गुंथ गये सभी
फिजां के आसपास
फैल गयी प्रेयसि तू
मेरे अस्तित्व पर
बन के पूजा के अगर।
—————————-

Language: Hindi
153 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"𝗜 𝗵𝗮𝘃𝗲 𝗻𝗼 𝘁𝗶𝗺𝗲 𝗳𝗼𝗿 𝗹𝗼𝘃𝗲."
पूर्वार्थ
!!! होली आई है !!!
!!! होली आई है !!!
जगदीश लववंशी
मुलाक़ातें ज़रूरी हैं
मुलाक़ातें ज़रूरी हैं
Shivkumar Bilagrami
"कुछ तो गुना गुना रही हो"
Lohit Tamta
अपने पुस्तक के प्रकाशन पर --
अपने पुस्तक के प्रकाशन पर --
Shweta Soni
2475.पूर्णिका
2475.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ना मुझे मुक़द्दर पर था भरोसा, ना ही तक़दीर पे विश्वास।
ना मुझे मुक़द्दर पर था भरोसा, ना ही तक़दीर पे विश्वास।
कविता झा ‘गीत’
उतर गए निगाह से वे लोग भी पुराने
उतर गए निगाह से वे लोग भी पुराने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Only attraction
Only attraction
Bidyadhar Mantry
बेदर्द ...................................
बेदर्द ...................................
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
समझदारी शांति से झलकती हैं, और बेवकूफ़ी अशांति से !!
समझदारी शांति से झलकती हैं, और बेवकूफ़ी अशांति से !!
Lokesh Sharma
जब कभी मन हारकर के,या व्यथित हो टूट जाए
जब कभी मन हारकर के,या व्यथित हो टूट जाए
Yogini kajol Pathak
😊आज श्रम दिवस पर😊
😊आज श्रम दिवस पर😊
*प्रणय प्रभात*
था मैं तेरी जुल्फों को संवारने की ख्वाबों में
था मैं तेरी जुल्फों को संवारने की ख्वाबों में
Writer_ermkumar
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
हम सब मिलकर, ऐसे यह दिवाली मनाये
हम सब मिलकर, ऐसे यह दिवाली मनाये
gurudeenverma198
नंगापन (कुण्डलियां छंद-) Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
नंगापन (कुण्डलियां छंद-) Vijay Kumar Pandey 'pyasa'
Vijay kumar Pandey
कानून में हाँफने की सजा( हास्य व्यंग्य)
कानून में हाँफने की सजा( हास्य व्यंग्य)
Ravi Prakash
जनमदिन तुम्हारा !!
जनमदिन तुम्हारा !!
Dhriti Mishra
दुनिया में कुछ चीजे कभी नही मिटाई जा सकती, जैसे कुछ चोटे अपन
दुनिया में कुछ चीजे कभी नही मिटाई जा सकती, जैसे कुछ चोटे अपन
Soniya Goswami
शिक्षा का महत्व
शिक्षा का महत्व
Dinesh Kumar Gangwar
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कठिन परिश्रम कर फल के इंतजार में बैठ
कठिन परिश्रम कर फल के इंतजार में बैठ
Krishna Manshi
नैन
नैन
TARAN VERMA
साक्षर महिला
साक्षर महिला
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
जय लगन कुमार हैप्पी
गुजर रही थी उसके होठों से मुस्कुराहटें,
गुजर रही थी उसके होठों से मुस्कुराहटें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मर्यादाएँ टूटतीं, भाषा भी अश्लील।
मर्यादाएँ टूटतीं, भाषा भी अश्लील।
Arvind trivedi
जो सुनना चाहता है
जो सुनना चाहता है
Yogendra Chaturwedi
******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********
******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...