“ फेसबूक के अनजाने दोस्त “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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किसी से हम यहाँ ,
मिलते नहीं हैं आपस में !
फिर भी है प्यार ,
हमें दूर ही दूर रहने में !!
यहाँ नहीं है कभी ,
भेद -भाव कोई सपनों में !
दीया जलाके हम ,
मिलते हैं रोज अपनों में !!
यही एहसास सारी ,
रहती है हमारी जिंदगी में !
उम्र भी कट जाती ,
है एक दूसरे की बंदगी में !!
कोई छोटा नहीं है ,
ना कोई बडा इस मैखाने में !
जिसे जितना मिले ,
वह डाल ले अपने पैमाने में !!
पर होश इतना रहे ,
बेहिचक चलते रहे बिराने में !
खैर-मक़दम सभी का ,
करते रहें इसी तरह जमाने में !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत