फेक न्यूज का ज़माना है !
फेक न्यूज का ज़माना है,
झूठी खबर, झूठा फसाना है।
विज्ञापन के लिए मची होड़ है,
टीआरपी की हर तरफ दौड़ है।
खबर सही कोई दिखाता नही,
सच कोई भी अब बताता नही।
उन्माद का व्यापार पनप रहा,
फेक न्यूज से चैनल चमक रहा।
पत्रकार अब तो प्रवक्ता हो गए,
नेताओं के ये अधिवक्ता हो गए।
एजेंडा उनका ही रोज़ चलाते हैं,
अपने फायदे के लिए भड़काते हैं।
हर तरफ पैसे का खेल चल रहा,
हर कोई इक दूसरे को छल रहा।
फेक न्यूज़ का गजब दौर है,
झूठ बना सबका सिरमौर है।
समाचार के नाम पर होता ड्रामा,
हिंदू मुस्लिम वाला रोज फसाना।
लोगों को धर्म का मादक बना रहे,
समाज के लिए घातक बना रहे।
ये दर्शक को मूर्ख समझते,
सुबह शाम कुछ भी बकते।
मजहब के नाम लोगों को लड़ाते,
झूठ फैलाते और बहकाते।
इन्हे कोई फर्क नही पड़ता,
भले कोई रहे यहां लड़ता।
ये बस पैसों के खेल में लगे हैं,
अपने बाप की भी नही सगे हैं।
वक्त आ गया हमें उठना होगा,
झूठ के खिलाफ लड़ना होगा।
इस जहर से सबको बचाना होगा,
खबरों का महत्व समझना होगा।
जो गलत खबर दिखाते ,
उनका हम बहिष्कार करें।
स्वतंत्र पत्रकारिता को ही,
अब हम स्वीकार करें।