फूल
फूलों की खुशबू फैली है इस फिज़ा में,
रंगों पे भी निखार का खुमार आया है,
फूलों मे रंगों की नज़ाकत है कलियों की कोमल सी काया,
कभी देखा है फूलों को लड़ते और झगड़ते हुऐ,
आकर्षक है मगर फिर भी एक सादगी है,
कभी इतराता नहीं खूबसूरत सी मुस्कुराहट के लिए,
मुस्कुरा लेता है आपकी खुशियों के लिए,
खुशबू ऐसी की मदहोश कर दे सारे चमन को,
मगर बिखर जाता है सारे जमाने के लिए,
फूलों बिना सूना है शृंगार प्रभु का ,
तो दुल्हन की खूबसूरती भी अधूरी है,
मरने वालों को फूलों से ही ढंका जाता है,
वही फूल जो बागों मे खिलाया जाता है,
फूलों की किस्मत तो देखो रंगीन होकर भी,
अलग -अलग रंगों में रंगा हुआ है,
कहीं किसी बाज़ार तो कहीं मंदिर मे सज़ा हुआ है,
कभी कीमत ना लगाना यारों इसकी,
कहीं मोल तो कहीं बेमोल बिका हुआ है,
हर रंग, हर ढंग, हर साज़ के सपनों मे सिला हुआ है,
रंगीन होकर अलग अलग रंगो में रंगा हुआ है,
ऐ फूल बता तेरी किस्मत मे क्या -क्या छुपा हुआ है,
क्या-क्या छुपा हुआ है क्या- क्या छुपा हुआ है!!!!!!