फूल
देखा है मैने फूलों को, हंसते खिलते मुस्कुराते
देखा है मैने फूलों को, कलियों के संग इठलाते।
देखा है मैने फूलों को, खुशीयों मेँ हार बनते
देखा है मैने फूलोँ को, गमोँ मेँ शरीकदार बनते।
देखा है मैने फूलों को, कांटों के संग रहते
देखा है मैने फूलों को, घर उपवन मेँ महकते।
……….ऐ मेरे दोस्त तुम भी वो फूल बनना, जिसमे हर वक्त दोस्ती की खुशबू महके ।।
© राजदीप सिंह इन्दा