फूल
फूल कहीं जो हम बन जाते
बस खुशबू अपनी लुटाते
तितली के साथ भौंरे भी गुनगुनाते,
फूल जो रंग बिरंगे पहचान देते
न फिर कोई हमको छोड़ता,
सच कई नाम संग जुड़ जाते
हां काश पुष्प ,सुमन , गुलाब या फूल बन जाते।
सदा हम वीरों के पथ में चढ़ जाते।
प्रभु के गले में हार बनते, न घमंड
सच धन्य मेरा जीवन भी हो जाता
सच हम फूल जो बन जाते।
नीरज अग्रवाल चन्दौसी उत्तर प्रदेश