फूल ही फूल
फूल ही फूल बिछे हों वो डगर हो जाऊँ
आपके वास्ते गीतों का शजर हो जाऊँ
है नहीं चाह किताबों में दफ़्न होने की
आप होठों पे सजा लें तो अमर हो जाऊँ
© शैलेन्द्र ‘असीम’
फूल ही फूल बिछे हों वो डगर हो जाऊँ
आपके वास्ते गीतों का शजर हो जाऊँ
है नहीं चाह किताबों में दफ़्न होने की
आप होठों पे सजा लें तो अमर हो जाऊँ
© शैलेन्द्र ‘असीम’