फूल में जो भी मुस्कुराता है।
गज़ल
2122……..1212…….22
फूल में जो भी मुस्कराता है।
प्यार करना वहीं सिखाता है।
तोड़ कर फूल फेंकने वाले,
प्यार तुझको समझ न आता है।
अक्स होता है उसमें रब का ही,
कोई बच्चा जो मुस्कुराता है।
प्यार को चाहिए हवा पानी,
भूमि बंजर में खिलखिलाता है।
चैन से नींद भी उसे आती,
खूब मेहनत से जो कमाता है।
दान-दानी नहीं है उस जैसा,
कोई भूखे को गर खिलाता है।
प्रेम जिंदा रहेगा दुनियां में,
कृष्ण मीरा जिसे बनाता है।
………✍️ प्रेमी