” ———————————————- फूल मुस्कराते हैं ” !!
आंखों में तुम हो बसे , रंग नये भाते हैं !
पलकों में सजते सपन , और मुस्कराते हैं !!
औरों से हम चाहें ,दोष ना गिने कोई !
अपने ही अक्सर यहां , उंगलियां उठाते हैं !!
हंसना ही जीवन है , हैं आतप सदा संगी !
काँटे हो बैरी भले , फूल मुस्कराते हैं !!
राजनीति घटिया हुई , विदूषक से नेता हुए !
देशहित नहीं प्यारा , हमें बांटें जाते हैं !!
खौफज़दा है सब यहां , साये हैं आतंकी !
आड़ धर्म की लेकर , सबको छकाते हैं !!
वक़्त की मेहरबानियां , रंग यों दिखाती हैं !
मिलते रहे जो गले , नज़र ना मिलाते हैं !!
हिंदुस्तान है ये मेरा , कैसी ये त्रासद है !
हिन्दू हैं कहना गलत , सेक्युलर कहलाते हैं !!
बृज व्यास