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28 Jan 2021 · 1 min read

फूल (दोहावली)

*********** दोहावली (फूल) *********
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फूल शूल बिन ना खिले,कुदरत का है खेल।
भले बुरे जग में भरे,मिले राज या जेल।।

उपवन सा जग मिला,भांति भांति के फूल।
चमन खिलता रहे सदा,रंग बिरंगे फूल।।

जीवन बहुत हसीन है,फूलों सा नाजुक।
शब्द चोट भारी करे,हल्का पड़े चाबुक।।

करत करत प्रयास से,समस्या हो निदान।
प्रभु प्रेम प्रकाश से, मूर्ख होत सुजान।।

जीवन यह अनमोल है, मत करो यूँ बर्बाद।
सुमन सदा खिलता रहे,सदा रहो आबाद।।

मनसीरत मन है खिला,जैसे खिलते फूल।
मान आदर करें सदा,मत करो कभी भूल।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 283 Views
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