फूल दिल में जो खिल नहीं सकते
फूल दिल में जो खिल नहीं सकते।
ज़ख्म दिल के जो सिल नहीं सकते।।
दूसरों से तो मिल के देखा है।
क्या कभी ख़ुद से मिल नहीं सकते। ।
हादसा बन के हमसे मिल जाओ।
जब हक़ीक़त में मिल नहीं सकते।।
जो लिखा है वही मिलेगा हमें।
अपनी क़िस्मत बदल नहीं सकते।।
बात करते हैं, तवील राहों की ।
दो कदम भी जो चल नहीं सकते।।
फूल दिल में जो खिल नहीं सकते ।
ज़ख़्म दिल के जो सिल नहीं सकते ।।
— डॉ फौज़िया नसीम शाद