ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
आज भी मुझे मेरा गांव याद आता है
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दिल यूं ही बे’क़रार लगता है ,
क्यों जिंदगी अब काली रात है
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
हुआ उजाला धरती अम्बर, नया मसीहा आया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हँसता दिखना दर्द छुपाना हां मैं तुमसे -विजय कुमार पाण्डेय
दुनिया में कहीं से,बस इंसान लाना
जीवन : एक अद्वितीय यात्रा
*हरा रंग सारे रंगों पर, देखो तो सबसे भारी है (राधेश्यामी छंद
"जब तक सच में नहीं आती ll
57...Mut qaarib musamman mahzuuf
"कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा" से भी बड़ा सवाल-
किस मोड़ पे मिलेंगे बिछड़कर हम दोनों हमसफ़र,
ग़ज़ल(नाम तेरा रेत पर लिखते लिखाते रह गये)