फूल तितली भंवरे जुगनू
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फूल तितली भंवरे जुगनू इतराते बहुत है
जो भी हो सामने इनके दिल बहलाते हैं
फूल यौवन पे हों तो चमन महक जाए
और महकें ऐसा कि मन बहक जाए
फूल की फितरत है ये मुस्कुराते बहुत हैं
जो भी हो सामने……………..
तितलियां रंग बिखेरती हैं इठलाते हुए
फूल को चुमती हैं दिल ललचाते हुए
तितली देखते ही पिछे चले आते बहुत हैं
जो भी हो सामने………………
भंवरे इश्क के परवाने नजर आते हैं
फूल देखते ही महफिलें सजाते हैं
भंवरे मोहब्बत के गीत गुनगुनाते बहुत हैं
जो भी हो सामने………………
जुगनू रात भर शमां जलाए फिरते हैं
जैसे कि दिल की लगाए फिरते हैं
जिंदगी छोटी है मगर जगमगाते बहुत हैं
जो भी हो सामने………………
‘V9द’ मुस्कुरा कर जीना ही जिंदगी है
यही तो खुदा की सच्ची बन्दगी है
फूल तितली भंवरे जुगनू समझाते बहुत हैं
जो भी हो सामने……………….
स्वरचित
V9द चौहान