फूल गुलाब है बेटी
****फूल गुलाब है बेटी*****
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घर आँगन का श्रृँगार है बेटी
पिता की पगड़ी सत्कार है बेटी
चमन मे खिलते फूल तरह तरह
गुलिस्तां का फूल गुलाब है बेटी
दोनों घरों को रहे संवारती
पीहर ससुराल की शान है बेटी
बेटी जन्म से है लक्ष्मी आगमन
पूर्ण कुल का प्रमाण है बेटी
युग बदलने से सोचें भी बदली
बेटे से कमतर अब नहीं है बेटी
गाड़ी,घोड़े और रेल भी दौड़ाए
गगन में जहाज उड़ाती है बेटी
डॉक्टर,शिक्षक,इंजीनियर बने
देश की संभाले सरकार है बेटी
जग में बुद्धि का लोहा मनवाया
विश्व में पताका लहराती है बेटी
शशि सी शान्त, शालीन,शीतल
दिनकर सी रोशन करती हैं बेटी
अँगना में चहचहाती चिड़िया
खुशियों का रम्य संसार है बेटी
मनसीरत निलय की है प्रतिष्ठा
माँ बापू का मान सम्मान है बेटी
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)