– फूल की खुशबू –
– फूल की खुशबू –
में महकता रहा तुम्हारे घर फुल की खुशबू बन कर,
तुम्हारे आंगन में खुश्बू बिखेरता रहा उपवन की तरफ,
सुगंध देता रहा में गुलाब के फूल की तरह,
सदा ही तुम्हारा घर महकता रहा गुलाब की पंखुड़ियों की तरह,
चहकता रहा सदा चिड़िया की तरह,
में जलता रहा तुम्हारे कुल में दीपक की तरह,
में तपता रहा सदा लोहे की तरह,
और निखरता रहा सदा सोने की तरह,
मगर तुमने नही जाना तुमने नही माना , तुमने नही पहचाना ,
सच ही कहा है किसी ने हीरे की परख जौहरी ही जानता है ,
जो लोहे का सामान रखता है वो नही पहचानता है,
में अब आजाद हुआ तुम्हारे उपवन से ,
और में अब सदा महकता रहूंगा इस साहित्य जगत के लिए,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –