फूल का दर्द!
देखो तो फूलों का दर्द।खूशबू बिखेर कर खुद हो जाते हैं बेदर्द।लोग तोड़ डालते हैं बन कर बेदर्दी।दिल में जरा भी नहीं रखते हैं हमदर्दी।न समझते हैं उसकी सुन्दरता।न खूशबू की परवाह करते हैं ।बस! वो तो भगवान पर चढ़ाया करते हैं।
देखो तो फूलों का दर्द।खूशबू बिखेर कर खुद हो जाते हैं बेदर्द।लोग तोड़ डालते हैं बन कर बेदर्दी।दिल में जरा भी नहीं रखते हैं हमदर्दी।न समझते हैं उसकी सुन्दरता।न खूशबू की परवाह करते हैं ।बस! वो तो भगवान पर चढ़ाया करते हैं।