Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Feb 2024 · 1 min read

फूल कभी भी बेजुबाॅ॑ नहीं होते

फूल कभी भी बेजुबाॅ॑ नहीं होते
कौन कहता है कि इनके अरमाॅ॑ नहीं होते
छुपा लेते हैं ओंश के रूप में ये ऑ॑सू
दर्द दिल के इनके कभी भी बयाॅ॑ नहीं होते-फूल कभी
महकते हैं ये सिर्फ दूसरों की ही खातिर
अपनी खातिर ये कभी परेशां नहीं होते
कहीं ये कांटों पर तो कहीं कीचड़ में उगें
किस्मत पे अपनी ये कभी खफा नहीं होते-फूल कभी
है इन्हें मालूम कुचले जाओगे एक दिन
इसीलिए इनके कभी आशियाॅ॑ नहीं होते
सुबह अगर होते हैं ये पूजा की थाली में
साॅ॑झ ढ़लने पर इनके कहीं निशां नहीं होते-फूल कभी
जिसे भी देखिए वही फूल का है कायल
मगर फिर भी ये किसी की जाॅ॑ नहीं होते
कोई रूठे तो मना लेते हैं फूल देकर हम
ये जोड़ते दिलों को पर दरमियाॅ॑ नहीं होते-फूल कभी
सीख ले जिंदगी जीना अगर कोई इनसे
बस जाते हैं दिल में कभी फ़नां नहीं होते
सुनो ‘V9द’ की भी है फूलों सी ही दास्तां
फूल मेज़बान होते हैं ये मेहमान नहीं होते-फूल कभी

2 Likes · 155 Views
Books from VINOD CHAUHAN
View all

You may also like these posts

बादलों की, ओ.. काली..! घटाएं सुनो।
बादलों की, ओ.. काली..! घटाएं सुनो।
पंकज परिंदा
तकदीर
तकदीर
Sumangal Singh Sikarwar
- वास्तविकता -
- वास्तविकता -
bharat gehlot
स्पर्श
स्पर्श
Kavita Chouhan
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
2544.पूर्णिका
2544.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मज़बूत होने में
मज़बूत होने में
Ranjeet kumar patre
Guilt
Guilt
सुकृति
कविताश्री
कविताश्री
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
यूनिवर्सिटी नहीं केवल वहां का माहौल बड़ा है।
यूनिवर्सिटी नहीं केवल वहां का माहौल बड़ा है।
Rj Anand Prajapati
मुट्ठी में जो जान
मुट्ठी में जो जान
RAMESH SHARMA
#हौंसले
#हौंसले
पूर्वार्थ
बाजारवाद
बाजारवाद
कार्तिक नितिन शर्मा
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
मदिरालय
मदिरालय
Kaviraag
शहीदी दिवस की गोष्ठी
शहीदी दिवस की गोष्ठी
C S Santoshi
??????...
??????...
शेखर सिंह
*मेरा चाँद*
*मेरा चाँद*
Vandna Thakur
"सच"
Khajan Singh Nain
हौसले हमारे ....!!!
हौसले हमारे ....!!!
Kanchan Khanna
रामसापीर
रामसापीर
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
Meenakshi Masoom
खिड़की के बंद होने से पूर्व-----
खिड़की के बंद होने से पूर्व-----
Shally Vij
अब उनकी आँखों में वो बात कहाँ,
अब उनकी आँखों में वो बात कहाँ,
Shreedhar
" दोषी "
Dr. Kishan tandon kranti
चाँदनी .....
चाँदनी .....
sushil sarna
दुनिया में सब ही की तरह
दुनिया में सब ही की तरह
डी. के. निवातिया
सुधीर श्रीवास्तव को विधा वाचस्पति मानद उपाधि
सुधीर श्रीवास्तव को विधा वाचस्पति मानद उपाधि
Sudhir srivastava
*जानो होता है टिकट, राजनीति का सार (कुंडलिया)*
*जानो होता है टिकट, राजनीति का सार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आसमाँ के परिंदे
आसमाँ के परिंदे
VINOD CHAUHAN
Loading...