फूल और कांटे
फूल को देखिए, खुशबू को लीजिए।
व्यक्ति को न देखिए, गुणों को लीजिए।
फूल के कई हे रंग
व्यक्ति के कई हे ढंग
रंगों को लीजिए
न कि ढंगो को लीजिए।
फूल को देखिए, खुशबू को लीजिए।
व्यक्ति को न देखिए, गुणों को लीजिए।
फूल के संग हे काँटा
व्यक्ति के संग निराशा
न काँटा को लीजिए
न निराशा को लीजिए।
आशा को लीजिए
मधुरता को लीजिए
कोमलता को लीजिए
सहनशीलता को लीजिए।
फूल को देखिए, खुशबू को लीजिए।
व्यक्ति को न देखिए, गुणों को लीजिए।
फूल में है रस
व्यक्ति है नि:रस
मधुर रस को पीजिए
न निंदा रस को लीजिए।
फूल को देखिए, खुशबू को लीजिए।
व्यक्ति को न देखिए, गुणों को लीजिए।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’
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