— फूलों से सीखो —
सुख हो या हो दुःख
साथ निभाना सीखाते हैं
यह फूल हैं जो चुपचाप
जहाँ चढ़ा दो, वहीँ
खुद की भेंट चढ़ा देते हैं
कांटो में खिल कर
मुस्कुराना सीखाते हैं
कैसी जीवन की लीला है
फिर भी वहां मुस्कुराते हैं
अपने मन की बात किसी ने
नही कभी कह पाते हैं
माला में पिरो दो
या एक एक पत्त्ती
से अलग थलग कर दो
यह मीठी मुस्कान से
सब को जीना सीखते हैं
कितन यह सीखाते हैं , पर
लोग फिर भी नही सीख पाते हैं
अजीत कुमार तलवार
मेरठ