फूलों सा खिला करो
**** फूलों सा खिला करो (ग़ज़ल) ****
बह्र 2 2 1 2 1 2 2 2 2 1 2 1 2=22
रदीफ़ :- करो।*काफ़िया :- आ
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हम हैं सजन तुम्हारे हम से मिला करो,
हम को गले लगा फूलों सा खिला करो।
बातें मुझे बता कर क्यों हो यूं खफ़ा हुए,
प्रीतम हमें सुना कर ना तुम गिला करो।
तुम साथ दे हमारा हम राह तो बनो,
करके दया वफ़ा कुछ हम पर दया करो।
टूटे हुए प्यार में दिल जो ना कभी जुड़े,
रहमोंकरम रजा से रिस्ते सिला करो।
ये प्रेम जो बहुत दुखदायी बना बड़ा,
तुम नेह से सदा मिल जुल कर रहा करो।
मन बांवरा हुआ मनसीरत जुदा जुदा,
दिलदार पर जरा हिय से तुम भला करो।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)