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7 Dec 2018 · 1 min read

फूले रंजिश के

फिर मकारी बह चली है ये कहा
अब भला ये आसमां कैसे थमा

फूले रंजिश के बिखेरे है किसने
देखनी है अब हमने उनकी सदा

हो चला कैसा गुमान ये तुमको
बस करो तुम हमको न आजमा

झलक तलक भी तुमको लगने न दी
इतने मसरूफ तुम हो गये थे कहा

सच कहूं तो हो गया तुम पर यकीं
भा गई हमको तुम्हारी ये अदा

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