फुर्सत नहीं है
जो दोस्त कहते थे
कुछ साल के बाद
फुर्सत ही फुर्सत
वो फुर्सत कहाँ है
बेटा बेटी पल गये
जॉब पर भी लग गये
पर
अभी भी फुर्सत कहाँ है
जो सोचते थे
अब खूब मिलेंगे
आपस में
अब बताओ कितने मिले
वक़्त क्या मिला उतना
अभी फ़ुरसत कहाँ है
ख़ाली तो ख़ुद को रखना
था, अपनो, दोस्तों के लिये
और क्या हुआ
कहने लगे
मैं तो दिन रात काम में
ख़ुद को बिजी रखता हूँ
फिर फुर्सत कहाँ है
निकल गये सभी आगे
गुज़ारा वक्त कभी लौट के
आता नहीं
ये भी मान भी लिया
ज़रा देखो तो जाकर
कहीं
ऐसा तो नहीं तुम ही
वक़्त के सामने से गुज़र गए
और वक़्त वहीं पर पड़ा हो
कहीं गया न हो
दिखती नहीं बस कोई ढूँढने की
ललक
फुर्सत कहाँ है
खोजते हैं उस गुज़रे वक़्त को
क्या पता उस वक़्त
आमद यहाँ भी हो
हम ही बच रहे हों
संवाद न कर रहे हों
एसी रस्म अदायगी
फिर दोस्ती का साथ कहाँ है
फुर्सत कहाँ है
वक़्त नहीं गुज़रा
हम ही वक़्त के सामने
से गुज़रे गये हैं
ढूँढ लेने की चाहत पालो
वक़्त वहीं है
और तुम पूँछते हो कहाँ है
फुर्सत कहाँ है