फुरसत ए लम्हें
———–फुर्सत ए लम्हें———-
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फुर्सत ए लम्हें कहीं हैं खो से गए
कल पुर्जों की दुनिया में खो से गए
जीवन तौर तरीकों से मशीनी सा
मशीनी व्यवहार में हम खो से गए
मशीनी युग में सभी मशीनी हैं हुए
अथक से चलते हुए हैं खो से गए
रिश्तें जो पास हैं का अब मोल नहीं
दूर के रिश्ते निभाने में हैं खो से गए
जानते हैं सभी, करे ना आजमाइश
पहले आप चक्रव्यूह में खो से गए
पास पास रह कर भी रहें दूर सभी
बढ रही दूरियों में सभी खो से गए
सुखविंद्र दुनिया ये कहाँ रूकती है
बहते दरिया में हैं सभी खो से गए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)