फीसों का शूल : उमेश शुक्ल के हाइकु
कान्वेंट स्कूलों में प्रवेश चालू्
अभिभावक धन खिंचे जैसे नदी से बालू
बच्चे करते हठ बनेंगे भालू
वो दुखी जिनके बच्चे तीन
खर्चों का इंतजाम करने को बने मशीन
स्कूल प्रबंधन रुख जस कालनेमि
कापी, किताब, ड्रेस सब अनूठे
पढ़ाई की गुणवत्ता को पूछो शिक्षक रूठें
उत्सवों को धन अलग समेंटें
स्कूल हुए दुकानों में तब्दील
किताब,कापियां, ड्रेस बेचने को करते डील
नहीं पसीजता मजलूमों पे दिल
पैरेंट्स बनें अप्रैल में फूल
सत्र शुरुआत पर चुभे फीसों का शूल
बेसुध तंत्र, कैसे बचें उसूल