” ——————————————- फीके सभी मज़े हैं ” !!
मित्रता दिवस के उपलक्ष्य में प्रस्तुति :
कुंआ खाई सम्मुख है मेरे , राह नहीं सूझे है !
सही यार की कमी ज़िन्दगी , खलती आज मुझे है !!
गर्दिश में भी जिसके संग में , हम झूमा करते थे !
आज उसकी याद में गुमसुम , फीके सभी मज़े हैं !!
मस्त बहारें झूम के जब भी , गले हमारे पड़ती !
राह में पड़ने वाले पत्थर , हमसे गये पुजे हैं !!
दौलत शोहरत खूब कमाई , अवसर एक न चूका !
अपने , अपनापन खोया है , सपने बुझे बुझे हैं !!
रास रंग में डूबे ऐसे , दुनिया भूल गये हम !
समय की मार पड़ी है एसी , बारह आज बजे हैं !!
आंख मिचौली ,धींगा मस्ती , याद आ रहा सब कुछ !
प्रियवर सब कुछ हासिल है तो , भूले आज तुझे हैं !!
एक तेरी उम्मीद है बाकी , आस अभी ना टूटी !
गूढ़ पहेली ऐसी उलझी , तुम बिन ना सुलझे है !!
बृज व्यास