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15 Mar 2021 · 1 min read

फीका लगता है महताब

****फीका लगता है महताब***
*************************

नशा शराब का नहीं है खराब,
दिल की नीयत है बहुत खराब।

दिखाई न दे ये सारा जहान,
छा गया हो तन मन नशा शवाब।

काम छोड़ दे है करना दिमाग,
काम वासना बिगाड़ दे हिसाब।

करनी छोड़ देता है परवाह,
अगर अभिमान सिर छाये जनाब।

अति हो जाए किसी की भारी,
सहन नहीं हो पाता है दवाब।

औंधे मुँह आ कर है झट गिरता,
टूट जाए पैर रखने का रकाब।

दिल तोड़ के कोई चला जाए,
रूखा रूखा लगता खिला गुलाब।

सँवर के घर से जब वो निकले,
फीका लगने लगता है महताब।

मनसीरत तारीकियों में बन्द,
तम को मिटा देता है आफताब।
*************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 242 Views
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