Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Feb 2022 · 9 min read

फिल्म – कब तक चुप रहूंगी

पेज =15
फिल्म कब तक चुप रहूंगी। स्क्रिप्ट – रौशन राय का
मोबाइल नंबर – 9515651283/7859042461
तारीक – 07 – 02 – 2022

राधा कृष्णा क्यों तुम हमारे घर को उजाड़ने पर लगे हों कृष्णा तुम्हारे मन में क्या है वो मैं समझती हूं पर तुम जैसा सोच रहे हो वैसा नही होगा।

कृष्णा – राधा मैडम आप मुझे गलत समझ रही है मैं आपका तोड़ना नहीं जोड़ना चाहता हूं इसलिए मैं आपको के जीवन में आने वाले दुःख से शर्तक और दुर रहने को कह रहा हूं।

राधा – अरे दुःख से दुर तुम मुझे ख़ाक रखोगे तुने बार बार कोशिश की हम दोनों के बीच में झगड़ा लगाना

आचरण तुम्हारा गन्दा है और इल्ज़ाम हमारे पति पर लगाते हो चार दिन से तुम हमारे घर में इस बदचलन लड़की को अपने साथ सुलाए हों और खड़ाब हमारे पति को कहते हों

जुली राधा की बात सुनकर कहती हैं अरी वो मैडम जी कृष्णा में और हम में भाई बहन का रिश्ता है

इतना सुनते ही राधा आई और जुली को एक थप्पड़ जड़ दी और बोली कमीनी आज चार दिन से तु इसके साथ रंगरेलियां मना रही हैं और कहती हैं कि हमारा रिश्ता भाई बहन का हैं कमीनी तु किसी की बहन हो ही नहीं सकती चल यहा से भाग नहीं तो अब मैं खुद ही पुलिस को बुलाऊंगी

अपने बेटे से रिश्ता तोड़ने वाले विशाल के पिता विसंबर नाथ को बेटे के बिवाह हो जाने पर अब अपने बहुं को देखने का मन होने लगा अपने बेटे और बहू से पोते के सपने संजोने लगे किन्तु अपने बेटे के कर्म से बहुत ही दुःख हुए थे वो

विसंबर नाथ ने अपने समधी जगदीश डोंगरा को फोन किया

विसंबर नाथ का फोन देख कर जगदीश डोंगरा जी को खुशी और आश्चर्य भी हुआ और फोन रिसीव किया कहा हल्लो कौन

समधी जी मैं दिसंबर नाथ बोल रहा हूं

जगदीश डोंगरा – वो हो समधी जी नमस्कार कहिए कैसे फोन करना हुआ

दिसंबर नाथ हमारे बहूं से बात करबाइए

जगदीश डोंगरा – वो तों विशाल के पास गई

दिसंबर नाथ – आप मेरे बहूं को क्यों उसके पास भेज दिए आप तुरंत फोन करके बुला लिजिए या नहीं तों मुझे मेरे बहूं का नंबर दिजिए

डोंगरा साहब को विसंबर नाथ जी का बात सुनकर बहुत खुशी हुआ साथ आश्चर्य भी हुआ कि ये ऐसा क्यों कह रहे हैं कि मेरे बहूं को मेरे बेटे के पास क्यों भेज दिए फिर उसने विसंबर से कहा कि दामाद जी ने स्वयं उन्हें अपने पास बुलाया

बिसंबर नाथ क्या आप हमें हमारे बहूं का फोन नंबर देंगे

डोगंरा साहब हां अभी मैं आपको वाटशप पर भेज रहा हूं
पर मुझे आपसे और भी बातें करना है दोनों बच्चों के बारे में

बिसंबर नाथ – हां एक दिन दोनो समधी बैठके खुब बात करेंगे

डोंगरा साहब जी मैं उस पल का बेसब्री से इंतजार करुंगा
और फोन कट गया

डोंगरा साहब ने अपने बेटी का नंबर उनके ससुर विसंबर जी को वाटशप पर शेन्ड किये

विसंबर जी ने तुरंत फोन लगाया और उनके बहूं राधा फोन रिसीव कर बोली हेलो कौन

विसंबर बोले बेटी तुम सिर्फ सुनो कुछ बोलों नहीं

राधा हूं पर आप हैं कौन

विसंबर नाथ बेटी मैं तेरा ससुर विसंबर नाथ

राधा हूं

विसंबर नाथ तु उस नालायक के पास से अपने घर आ जा तेरा पति मेरा इकलौता बेटा विशाल अच्छा आदमी नहीं है
नहीं तो वो तुम्हें भी मुसीबत में डाल देगा
पर बेटा विशाल को ये मालूम नहीं होना चाहिए कि मैं तुम से बात किया फोन कट गया

राधा किसी और के नाम से अपने ससुर का नंबर सेव कर लिया।

अब राधा सोचने लगी कि विशाल के बारे में कोई भी अच्छा बात नहीं कह रहा है कुछ न कुछ तो गड़बड़ जरूर है विशाल के बारे में कृष्णा का कहना भी सच है कि उस दिन अचानक हम सब को लेकर होटल पहुंच गया वहां से आते ही हमें हमारे पापा के पास जाने को कहा वो जुली भी विशाल का ही नाम ले रही थी बात कुछ न कुछ गंभीर जरुर है

तभी जुवेर का फिर फोन आया उसने कहा विशाल सरकार हमें पकड़ कर देने वाले को इनाम देने का घोषना कर दी है अब तो सोच कि हम कभी भी पकड़ा जा सकते हैं

जुवेर का बात सुनकर विशाल ने घबरा गया और वो सोचा यदि हम ही जुवेर को पुलिस से पकड़बा दें तो बाहर का जादा डर खत्म हो जाएगा
फिर सोचा नहीं पहले इसके बारे में कुछ सोचना पड़ेगा नहीं तो लेनी के देनी पर सकता है फिर वो अपने चेहरे पर जबरदस्ती से मुस्कान को लाया

और राधा से कहा कि चलो राधा आज तुम्हारे लिए मार्केटिंग करते हैं और दोनों चल दिए साथ में कृष्णा भी था सामान उठाने के लिए

तिनों मार्केट गया और तब तक एक सेठ का फोन आया तो

विशाल ने कहा तुम दोनों यही पर रुको मैं एक नंबर से आता हूं और वो चला गया।

जब राधा और कृष्णा खड़े होकर बात कर रहा था तभी अचानक राधा का वो साथी जो इंटर के बाद अपने पढ़ाई छोड़ दी थी अपने घर के परेशानी देखकर

जब वो लड़की राधा को देखी तो आंख चुरा कर निकलना चाही तब तक राधा उन्हें देख लिया और उन्हें आवाज देकर रोक लिया और हाल समाचार पुछा तो वो लड़की अपनी आप-बीती राधा को कह सुनाई अब तो राधा उस लड़की कि दुःख भरी दास्तान सुनकर रोने लगी

तभी विशाल राधा के पास पहुंचा और जैसे ही उस लड़की को देखा वैसे बोला

तुम सब बातें करों मैं एक जरूरी बात करके आता हूं

विशाल को देखते ही वो लड़की चौंक गई और बोली

राधा तु भी इसके झांसे में आ गई तुम जानती हो ये आदमी कौन है

राधा हां ये आदमी मेरा पति है और मुझे मार्केटिंग के लिए यहां लाया पर तुम इन्हें कैसे जानती हो और ऐसा क्यों पुछ रहीं हो

वो लड़की कृष्णा के ओर इशारा करते हुए बोली मैं तो समझी ये तुम्हारे पति है

राधा – बता न तु कैसे मेरे पति को जानती है

वो लड़की छोड़ जाने दें मेरे नशीब में जो लिखा था वो हुआ

राधा नहीं नहीं तु बता की हमारे पति को तुम कैसे जानती हो ।

वो लड़की नहीं जाने दें राधा तुझे बहुत दुख होगा हमारी बात सुनकर।

राधा नहीं रे हम सब आज भी दोस्त हैं तु मुझे बता की तुम कैसे हमारे पति को जानती हूं तुझे मेरे सर की कसम

वो लड़की राधा यही वो आदमी हैं जिसने मुझे यहां पर लाके छोड़ा यही वो आदमी हैं जिसने मुझे और हमारे परिवार को जीते जी मार डाला आज मैं इसी आदमी के वेश्यावृत्त करने को मजबुर हूं क्योंकि मेरे पास इसके सिवा और कोई रास्ता नही है

अब तो राधा को लग रहा था कि हे धरती तु फट जा और मै तुझ में समा जाऊं

राधा ने उस लड़की को साथ लिया और कृष्णा के साथ वापस घर लौट आई

और उस लड़की को तसल्ली दी और बोली मैं तेरा घर बसवाउंगी।

कुछ देर कहके काफी देर से घर पहुंचा और राधा पर गर्म हो गया और बोला

अरे हम तुम्हें वहां ढुंढ और तुम दोनों घर आ गई

राधा कठोर शब्दों में तुम्हें गुस्साने कि जरुरत नहीं है तुमसे जो पुछ रहीं हूं उसका सही सही जवाब दो

विशाल क्या हुआ है बाजार से कुछ देख कर आई है क्या

राधा हां आज तुम्हारा हकीकत देखकर और साथ लाई हूं उस हकीकत को
तुम सच सच बताओ कि तुम काम क्या करते हो

विशाल – कृष्णा के ओर ध्यान देते हुए वो आज तुम्हें ये कुता अपने झांसे में ले ही लिया

राधा नहीं कृष्णा ने उस दिन भी हमें तुम्हारे सच का आईना दिखाया और आज आज भी एक जीता-जागता सबूत हमारे सामने खड़ा हैं।
मैं तुम्हारे मुंह से सुनना चाहती हूं कि तुम काम क्या करते हो

विशाल राधा को मस्का लगा कर बात को शांत करने कि कोशिश कि और राधा के पास आया और उसे बाहों में लेना चाहा

राधा चार क़दम हटते हुए बोली मुझे हाथ ना लगाना वर्णा ठीक नहीं होगा

विशाल – को गुस्सा आ गया और बोला क्यों बताऊं तुम्हे कि मैं क्या काम करता हूं और तु पुछने बाली कौन होती है

राधा मैं तुम्हारे पत्नी हूं इसलिए मैं तुम से पुछ सकती हूं अगर तुम नहीं बताओगे तो मैं तुम्हें बताती हूं तुम्हारे काम के बारे में और गई कमरे से उस लड़की को विशाल के सामने लाकर खड़ी कर दी। और बोली ये तुम्हारे गुनाह का पोल खोलेंगी।

विशाल – अरे ये क्या मेरा पोल खोलेंगी मैं खुद तुम्हें सब बता देता हूं। हां मैं वहीं काम करता हूं जो कृष्णा तुम्हें बता रहा था हां मैं करता हूं और तु चुप बैठ मैं क्या करता हूं तुम्हें इससे कोई मतलब नहीं है

राधा – मतलब है मिस्टर विशाल और ऐसा मतलब है कि मैं जो चाहूं वो कर दूं।

विशाल – हूं तु कुछ नहीं कर सकती और मैं जो चाहूंगा वो कर सकता हूं तु ये कान खोल कर सुन लें मैं तुझे हाथ लगाने की क्या जरूरत है अरे तुझ से अच्छी अच्छी लड़कियां विशाल पर मर मिटने के लिए तैयार हैं आज से तु अपने इन आंखों से देखेंगी मैं तुम्हारे ही विस्तर पर डेली तुम से हसिन हुस्न की मल्लिका को लाउंगा । मैं उसके साथ हम विस्तर होउंगा और तु मोमबत्ती लेकर खड़ी रहेगी

राधा को फिर एहसास हुआ कि झगड़ा बढ़ रहा है तो वो अपने कमरे में चली गई।

कृष्णा – राधा के पास पहुंचा और कहा राधा मैडम जी मैं आपको पहले से ही कह रहा था पर आप मुझे गलत कहती थी।

राधा – कृष्णा ये हमारे आपसी समस्या है इसमें तुम्हें बोलने की कोई जरूरत नही है।

कृष्णा का एकबार फिर ये एहसास कराया गया कि वो इस घर का नौकर हैं

कृष्णा एकदम खामुस हों गया और अपने दिल कि लगी पर रोने लगा

राधा चाह कर भी कृष्णा के साथ सहानुभूति नहीं दिखाई क्यों की उनको अपना मर्यादा ध्यान था विशाल कैसा भी था पर था राधा का पति।

राधा एक बार फिर विशाल के पास आई और बोली देखो आपने जो किया सो किया पर अब तो ऐसा न करों।
कंसों मैं कैसे अपने पापा को अपना चेहरा दिखाऊंगी उससे क्या मैं कहूंगी कि आपका दामाद ये घिनौने काम करते हैं

विशाल – हमें तु बहला नहीं सकतीं और मैं बहह नहीं सकता देख तेरे समाने ही तेरे ख्वाब को जला कर राख कर दूंगा और मैं दुसरे औरत के साथ वो करुंगा जो एक मियां बीवी के साथ करता है और तु कुछ नहीं कर सकती

विशाल ने किसी को फोन किया और उसके घर दो हुस्न ए मल्लिका पहुंच गई।
जो बहुत ही अभद्र कपड़ा पहन रखी थी

उसके पहुंचते ही विशाल ने कहा चल इसके लिए चय बनाकर ला ।

कृष्णा – विशाल बाबु मैं बनाकर लाता हूं

विशाल – नहीं तु हमारे बीच में मत बोल हरामजादें तुने ही इन्हें भड़काया हैं मेरे खिलाफ मैं जानता हूं कि तु इसे अब भी बहुत प्यार करता है और इसे पाना चाहता है।
चल तु हमारे मेहमानों के सेंडील से धुल को साफ कर

तब तक राधा चय बनाकर ले आई और एक कोने में खड़ी हो गई।

विशाल – हमारे और हमारे मेहमानों के लिए विस्तर लगा

राधा – मैं सिर्फ़ आपके लिए विस्तर लगाऊंगी इसके लिए नहीं।

विशाल राधा को एक थप्पड़ जड़ देता है और कहता साली हमारे मेहमानों का अपमान करती है

कृष्णा ये देखकर चिल्लाया विशाल बाबु आप ये सही नहीं कर रहे हैं एक दिन आपको इस देवी का पैर पकड़कर माफी मांगना होगा

विशाल – राधा का बाल को पकड़ कर खिंचा और कहा देख तेरे आशिक को कितना तकलीफ हो रहा है और कृष्णा के पास पहुंच कर कहता है तुम राधा को बहुत प्यार करता है
आ थूं तु कितना कमीना इंसान हैं की दुसरे के बीवी को लाइन मारता है

कृष्णा – विशाल बाबु आपको जो कहना है कहो राधा मेरे लिए एक देवी से कम नहीं है क्योंकि वो आपके सिवा दुसरों के ओर देखती तक नहीं। हां ये सच है कि मैं राधा से प्यार करता हूं और करता रहूंगा

राधा कृष्णा तुम चुप रहो ये हमारे पति है इन्हें हमसे सब कुछ कहने का अधिकार है

विशाल राधा को धक्का देते हुए कहा साली चल हमारे लिए विस्तर लगा ।

राधा को मजबुरी बस विस्तर लगाना पड़ा

विशाल दोनों लड़की को अपने बाहों में भर कर विस्तर पर ले आया और उसका कपड़ा खोलने लगा तो राधा मुंह घुमा ली।

इस पर विशाल उठा और राधा का बाल पकड़ कर बोला साली इधर देख और विशाल शराब नशें में धुत था जैसे ही उस लड़की से हम विस्तर होना चाहा कि जुवेर का फोन आया कि उसे पुलिस पकड़ लिया है

उधर जुवेर से पुलिस ने विशाल को फोन करवाया था और जुवेर के हाथ से फोन लेकर पुलिस ने कहा बेटा भाग लें जितना अब तु भी बच नहीं पाएगा

पुलिस का आवाज सुनते ही विशाल का नशा उतर गया

फिर वो राधा के सामने उस लड़की से प्यार करने लगा

जब विशाल के पापा विसंबर नाथ को उनके बेटा के प्रति मोह जागते हुए देखा तो उसका पी ए का दिमाग सोच रहा था कि साला जिस दौलत के लिए हम इतने सालों से पापड़ बेले है वो अब हमारे हाथ से निकलते नजर आ रहा है पर मैं ऐसा नहीं होने दुंगा

Language: Hindi
280 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अपनी ही निगाहों में गुनहगार हो गई हूँ
अपनी ही निगाहों में गुनहगार हो गई हूँ
Trishika S Dhara
सब सूना सा हो जाता है
सब सूना सा हो जाता है
Satish Srijan
फितरत
फितरत
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
नित्य करते जो व्यायाम ,
नित्य करते जो व्यायाम ,
Kumud Srivastava
मुझे धरा पर न आने देना
मुझे धरा पर न आने देना
Gouri tiwari
जूते व जूती की महिमा (हास्य व्यंग)
जूते व जूती की महिमा (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
VINOD CHAUHAN
#काकोरी_दिवस_आज
#काकोरी_दिवस_आज
*Author प्रणय प्रभात*
शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana जिनका जीवन समर्पित है जनसेवा के लिए आखिर कौन है शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana ?
शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana जिनका जीवन समर्पित है जनसेवा के लिए आखिर कौन है शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana ?
Bramhastra sahityapedia
ये जीवन जीने का मूल मंत्र कभी जोड़ना कभी घटाना ,कभी गुणा भाग
ये जीवन जीने का मूल मंत्र कभी जोड़ना कभी घटाना ,कभी गुणा भाग
Shashi kala vyas
"सरल गणित"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ यादें जिन्हें हम भूला नहीं सकते,
कुछ यादें जिन्हें हम भूला नहीं सकते,
लक्ष्मी सिंह
प्यार करता हूं और निभाना चाहता हूं
प्यार करता हूं और निभाना चाहता हूं
Er. Sanjay Shrivastava
कर्णधार
कर्णधार
Shyam Sundar Subramanian
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
पूर्वार्थ
वाह ग़ालिब तेरे इश्क के फतवे भी कमाल है
वाह ग़ालिब तेरे इश्क के फतवे भी कमाल है
Vishal babu (vishu)
नींद
नींद
Diwakar Mahto
तुम्हारे हमारे एहसासात की है
तुम्हारे हमारे एहसासात की है
Dr fauzia Naseem shad
Winner
Winner
Paras Nath Jha
मेरी सोच~
मेरी सोच~
दिनेश एल० "जैहिंद"
काल  अटल संसार में,
काल अटल संसार में,
sushil sarna
पक्की छत
पक्की छत
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*बीमारी सबसे बुरी, तन को करे कबाड़* (कुंडलिया)
*बीमारी सबसे बुरी, तन को करे कबाड़* (कुंडलिया)
Ravi Prakash
क्यों नारी लूट रही है
क्यों नारी लूट रही है
gurudeenverma198
बीता समय अतीत अब,
बीता समय अतीत अब,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
In lamho ko kaid karlu apni chhoti mutthi me,
In lamho ko kaid karlu apni chhoti mutthi me,
Sakshi Tripathi
गुरूता बने महान ......!
गुरूता बने महान ......!
हरवंश हृदय
*अयोध्या के कण-कण में राम*
*अयोध्या के कण-कण में राम*
Vandna Thakur
Loading...